मुकेश कुमार मिश्र : शारदीय नवरात्रा में माँ दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा आज भक्तगण कर रहे है । खगडिया मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर में अवस्थित चौथम प्रखंड के रोहियार पंचायत के बंगलिया गांव ( धमारा घाट ) में माँ दुर्गा के छठे स्वरूप के नाम से विख्यात हैं दुध की देवी शक्ति पीठ माँ कात्यायनी स्थान! कोसी ओर वागमती के बीच में अवस्थित माँ कात्यायनी की महिमा अगम अपार है। माता भक्तजनों की मन्नतें पूर्ण करती हैं।
समबाहु त्रिभुज में स्थापित हैं तीन देवी
इस शक्ति पीठ माँ कात्यायनी मंदिर से सहरसा- जिले के सोनवर्षा प्रखंड के विराटपुर में अवस्थित माँ चण्डी देवी एवं महिषी में अवस्थित माँ तारा देवी की दुरी एक दूसरे से समान हैं।एवं तीनों देवी समबाहु त्रिभुज की तरह तीन बिंदु पर विराजमान हैं। जो बिहार ही नहीं देश में विख्यात हैं। इन दिनों मंदिर में सैकड़ों की संख्या में कलश स्थापना कर विशेष पूजा धूम धाम से किया जा रहा है।
- विख्यात हैं दुध की देवी शक्ति पीठ माँ कात्यायनी
शक्ति पीठ पौराणिक संदर्भ
हिन्दू धर्म के अनुसार जहाँ सती देवी के शरीर के अंग गिरे वहाँ शक्ति पीठ बन गई। ओर अत्यंत पावन तीर्थ कहलाए। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं।। इसी क्रम में सती देवी का बायां हाथ रोहियार पंचायत के बंगलिया गांव में गिरा था । जो माँ कात्यायनी शक्ति पीठ के नाम से विख्यात हो गया। माँ कात्यायनी स्थान 51 शक्तिपीठो में एक हैं।
दुध चढानें की विशेष परंपरा
दुध की देवी माँ कात्यायनी मंदिर में दुध चढाने की विशेष परंपरा है। कोसी इलाके ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के पशुपालको का गाय जब बच्चे देती हैं तो पहला दुध माँ कात्यायनी स्थान मंदिर में चढाया जाता हैं। इस मंदिर की खास विशेषता है कि जो भक्तगण सच्चे मन से जो माता को दुध चढाने के लिए संकल्प लेकर आते हैं। उसका दुध खराब नहीं होता है। प्रत्येक सोमवार एवं शुक्रवार को वैरागन का दिन हैं। उस दिन मंदिर में आपार भीड़ उमड पडती है। दुध चढाने से पशुपालको का पशु स्वस्थ रहता है एेसी मान्यता है। उक्त मंदिर में दुध की धारा बहती हैं।
क्या कहते हैं जानकार
कोसी कालेज के प्राचार्य सह हिन्दी विभागाध्यक्ष डाक्टर रामपुजन सिंह एवं पत्रकार रणवीर सिंह बताते हैं कि शक्ति पीठ माँ कात्यायनी की कृपा इलाके में विख्यात हैं। यह इलाका श्रम शक्ति पर निर्भर है। प्राकृतिक आपदा बाढ़, सुखाड़ के बाद भी इलाके में न तो कभी अकाल की स्थिति उत्पन्न हुई हैं ओर न होगी। यह माता की असीम कृपा हैं। दुर्गम रास्ते के बावजूद भी इलाके के लोग खुशहाल हैं।ओर भक्तजनों का सैलाब उमड़ती रहतीं है। सैकड़ों परिवारों की जीविका इस मंदिर से चल रही हैं।
पर्यटन स्थल का नहीं मिल सका है दर्जा
माँ कात्यायनी मंदिर जाने के लिए नाव एवं रेल का सहारा लेना पड़ता है। जो कठिन प्रद हैं। मंदिर तक पहुंच पथ नहीं होने कारण 19 अगस्त 2013 को माँ कात्यायनी मंदिर पूजा अर्चना करने जा रहे 28 श्रद्धालुओं की मौत धमारा रेलवे स्टेशन पर राजरानी एक्सप्रेस ट्रेन से कटकर हो गई थी। उसके बाद भी सरकार की ओर से कोई पहल आज तक नहीं किया गया। समाजिक कार्यकर्ताओं ने शक्तिपीठ माँ कात्यायनी मंदिर को पर्यटन स्थल का दर्जा को लेकर कई बार धरणा प्रर्दशन भी किया। लेकिन पर्यटन की बात तो दुर हैं मंदिर तक पहुंच पथ भी नहीं बन सका है। इस मंदिर में बिहार के के हर क्षेत्र से भक्तजन माँ की आराधना करने आते हैं।