सुपौल/छातापुर (संतोष/रवि ) : आम लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराये जाने के उद्देश्य से छातापुर प्रखंड मुख्यालय में करोड़ों की लागत से बनी जलमीनार लोगों का मुंह चिढ़ा रही है. यह जलमीनार ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत एक करोड़ सात लाख 61 हजार की लागत से वर्ष 2006 में बनाया गया था.। लगभग 10 साल बीत जाने के बाद भी प्रखंड के लोगों को अब तक इस जल मीनार से एक बून्द भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पाया है। शुद्ध पेयजल के लिए लालायित लोग वर्षो पुर्ब प्रखंड मुख्यालय में जलमीनार के बनने के बाद उत्साहित थे.। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण यह जलमीनार प्रखंडवासियों के लिए महज शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है.। दस वर्ष पूर्व बना जलमीनार बेकार साबित हो रहा है। गौरतलब हो कि प्रखंड केलालगंज , सोहता , सहित क्षेत्र के हजारों की आबादी को स्वच्छ जल की आपूर्ति को लेकर सरकार व विभागीय प्रयास से ग्रामीण जल आपूर्ति योजना तहत वर्ष 2006 में करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर जलमीनार बनवाया गया। . लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही साबित हो रहा है. ऐसी बात नहीं है कि उक्त जलमीनार से उपलब्ध कराये जाने वाली सेवा के मामले की जानकारी संबंधित विभाग को नहीं हैं. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण लोगों को समुचित योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

जगह जगह लगा टोंटी दे रहा जबाब ….
शुद्ध पेयजल के लिए जनमीनार के निर्माण के साथ – साथ क्षेत्र भर में पाइप भी बिछायी गयी. साथ ही दर्जनों स्थानों सहित सार्वजनिक स्थलों पर पक्कीकरण का कार्य कर नलका भी लगाया गया. ताकि स्थानीय सहित आवाजाही करने वालों को स्वच्छ व आयरन मुक्त पानी उपलब्ध हो सके. लेकिन संबंधित विभाग द्वारा उक्त सभी नलका का समुचित रख रखाव नहीं कराये जाने के कारण पाइप सहित नलका जहां जीर्णशीर्ण अवस्था में है, वहीं कई स्थानों पर नलका व टूटा जंग के हवाले हो चुका है। जबकि इधर सुध पेयजल की गरज से लोग डब्बा बंद पानी पीने को विवश है। पानी के मामले में धनि मने जाने वाले क्षेत्र के लोगो को पनि खरीद कर पीने में अच्छा नहीं लगता है। बाबजूद आयरन युकत पानी के कारण बाजारू बोतल बंद पानी लोग पि रहे है। जिसके कारण लोगो का पैसे पनि के नाम पर बर्बाद हो रहा है ।

क्या कहते हैं लोग…..
स्थानीय ग्रामीण गणेश झा ने बताया कि जलमीनार के निर्माण के बाद लोगों को स्वच्छ पानी पीने की उत्सुकता जगी और पंचयात के दर्जनों लोग स्वच्छ पानी के लिए विभागीय चक्कर भी काटने लगे लेकिन विभागीय शिथिलता के कारण कनेक्शन तो दूर, जगह जगह सड़क के किनारे बनाया गया स्टैंड पोस्ट भी खंडहर में तब्दील हो गया है। रवि रौशन बताते हैं कि इस जलमीनार से न सिर्फ लोगो को स्वच्छ पानी की आस पर पानी फिरा. बल्कि करोड़ों की लागत से बनाया गया जलमीनार शोभा की वस्तु मात्र बन कर रह गया। वही जयंत कुमार ,रामटहल भगत ,टिंकू कुमार ,चन्द्र पासवान चंदू ,आदि ने भी अपनी बात रखते हुए कहा की दस साल पूर्व बने जलमीनार के अब तक चालू नहीं होना विभागीय सिथीलता को दर्शाता है । ससमय ऐसे जनहित के कार्य में प्रखंड पदाधिकारियों को ध्यान देने की जरुरत है ।