मधेपुरा/चौसा(संजय कुमार सुमन ): गांव की सरकार चुनने के लिए मतदाता विकास को ही अपना मुद्दा बना रहे हैं। पंचायत चुनाव के मैदान में विभिन्न पदों पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों द्वारा हर हथकंडे अपनाये जा रहे हैं, साथ ही जनता को अपने पाले में लाने के लिए तरकीबें तलाशने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। लेकिन जो दृश्य है उसे देखकर नहीं लग रहा है कि मतदाता इतनी आसानी से किसी की ताल पर नाचेंगे। जनता के पास भी मुद्दे हैं उनके पास भी समस्याओं का पिटारा है। चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए बिफरे मतदाताओं को भी समेटने का काम चल रहा है। मतदाताओं के बीच पहुंचकर प्रत्याशीगण उनके नब्ज टटोल रहे हैं इनमें कोई व्यक्तिगत छवि का वास्ता दे रहे हैं तो कोई जातिवाद का जाल फेंकने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन मतदाता इस लालीपाप को नजर अंदाज कर उम्मीदवार के रूप में ऐसे विकास दूत की तलाश में हैं जो सही मायने में उनके विश्वास पर खरा उतर सके। बहरहाल विभिन्न पंचायतों के चुनावी समर में ताल ठोंक रहे उम्मीदवारों की एक लंबी फेहरिस्त है। उम्मीदवारों की बढ़ी भीड़ कतिपय प्रत्याशियों की चिंता बढ़ा दी है। बाजी किसके हाथ होगी यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है। जानकारों की मानें तो चुनाव दिलचस्प एवं कांटेदार होगा। गर्मी और लू के बीच प्रत्याशी मतदाता के पास जाते और चिन्ह दिखलाते हुए वोट देने का अपील करते।
चौसा प्रखंड के 13 पंचायत के मतदाताओं को मनाने में जुटे है प्रत्याशी …
जब उनसे पंचायत में विकास करने की बात पूछते तो पसीना चलना शुरू हो जाता। कहते कि जब आप के द्वारा पाच साल में विकास नहीं किया तो फिर आपको वोट क्यों देगें। गैरेया टोला के श्याम कुमार,पंकज कुमार,विपिन कुमार,श्याम टोला के फेकन मंडल,मु.रसूल आदि का कहना है कि गाव में न तो नाली बनी और न ईट सोलिंग या पीसीसी की गयी। और ना ही गांव में नया चापाकल दिया गया जो है वह भी पानी थोडा-थोडा देता। प्रतिनिधियों से कहते-कहते थक गये लेकिन गाव की एक भी समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ। इस बार उन्हें सबक सिखलाउगा। बिन्द टोली के ललन कुमार,विकास कुमार,सोनी देवी का कहना है कि वर्षों पूर्व गांव में सड़क का शिलान्यास हुआ और निर्माण आज तक नहीं हुआ। चुनाव में फिर वादा किये जा रहे हैं।अब वैसे प्रतिनिधियों के जाल में नहीं फसना है।इस बार मतदाता वैसे प्रतिनिधि को ढुढने में जुटे हैं।जो पंचायत के तमाम गाव का विकास कर सके। तमाम जरूरत मद लोगों को वीपीएल में नाम जोड सके । पेंशन की राशि दिलाए। फूस एवं खपडा के मकान में रहने वाले को इंदिरा आवास योजना के तहत पक्का मकान बनवाये। पेयजल की समस्या निपटारा करने में सक्षम हो। वैसे प्रत्याशियों की ओर मतदाताओं का ज्यादा झुकाव होने की संभावना दिखने लगे हैं।अब देखना है कि कौन प्रत्याशी कितने मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम हो सकते हैं।यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा।